मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ �
मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ �